सर्द सफ़ेद सुबह ओस की ओट से झांक सूरज ने सौगात दी नरम सुनहरी दुपहरी निभाया नींद ने दोस्ताना गुनगुनाहट के साये में सपना भी फिर आ मिला लिए साथ नया ताना बाना खो गयी किसी और जगत में खगों ने फिर आंखें खोली
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