नित भ्रम है समझने का
नित भार है जीने का
समझना है या जीना है
समझ कभी ना आया है।
जीते उसी को जो ना पाया है
जो पाया है उसे ठुकराया है
पाने ठुकराने के इस फेर में
सब कुछ खोया पाया है।
अपने सुर में कौन जीया है
सुर में सुर मिलाया है
मल्हार लिए मन में
राग मालकौंस गाया है।
सफर लम्बा शामिल ए दौड़
दौड़ में फंस झुंझलाया है
चिल्ल पौं द्वंद्व घमासान
उलझ सबमें कसमसाया है।